A Secret Weapon For Shodashi

Wiki Article



कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

The Mahavidya Shodashi Mantra aids in meditation, improving inner tranquil and aim. Chanting this mantra fosters a deep feeling of tranquility, enabling devotees to enter a meditative state and hook up with their internal selves. This benefit enhances spiritual consciousness and mindfulness.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

Once the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is claimed to generally be the highest method of worship of the goddess. You can find 64 Charkas that Lord Shiva gave into the individuals, along with unique Mantras and Tantras. These got so which the individuals could focus on attaining spiritual Rewards.

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण click here भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

They were being also blessings to get materialistic blessings from distinctive Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened individuals with the Shreechakra and so as to activate it, one has got to chant the Shodashakshari Mantra, which happens to be often known as the Shodashi mantra. It is claimed to become equivalent to the many 64 Chakras place collectively, in addition to their Mantras.

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

Shodashi’s influence promotes instinct, encouraging devotees access their internal knowledge and create have confidence in of their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive capabilities, guiding folks towards conclusions aligned with their maximum good.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

Report this wiki page